|| अहमेवासमेवाग्रे नान्यद यत् सदसत परम। पश्चादहं यदेतच्च यो वशिष्येत सो स्म्यहम ||
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि, कामासक्तिहरा ।
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि, विद्या ब्रह्म परा ॥
॥ जय भगवद् गीते...॥
निश्चल-भक्ति-विधायिनि, निर्मल मलहारी ।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि, सब विधि सुखकारी ॥
॥ जय भगवद् गीते...॥
राग-द्वेष-विदारिणि, कारिणि मोद सदा ।
भव-भय-हारिणि, तारिणि परमानन्दप्रदा ॥
॥ जय भगवद् गीते...॥
आसुर-भाव-विनाशिनि, नाशिनि तम रजनी ।
दैवी सद् गुणदायिनि, हरि-रसिका सजनी ॥
॥ जय भगवद् गीते...॥
समता, त्याग सिखावनि, हरि-मुख की बानी ।
सकल शास्त्र की स्वामिनी, श्रुतियों की रानी ॥
॥ जय भगवद् गीते...॥
दया-सुधा बरसावनि, मातु! कृपा कीजै ।
हरिपद-प्रेम दान कर, अपनो कर लीजै ॥
॥ जय भगवद् गीते...॥
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥
भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था. यह जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र को आधी रात में हुआ था. जब-जब धरा पर बढ़ता पाप, श्रीकृष्ण जन्म लेते हैं, अपने भक्तों को त्रास से मुक्त करने और धर्म की स्थापना करने।