|| ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।हंसानन गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ॐ जय शिव ओंकारा ॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे।कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
जय शिव ओंकारा, हर शिव ॐ जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, सोमवार व्रत रखने के लिए सुबह स्नान करके भगवान शिव को जल और बेलपत्र चढ़ाना और शिव-पार्वती की पूजा करना शामिल है। ऐसा माना जाता है कि सोमवार का व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। सोमवार व्रत कथा पढ़ने से अनुष्ठान पूरा होता है।