मेरा कर दो बेड़ा पार गगें महारानी, तुम कर दो बेड़ा पार गंगे महारानी ।
पत्थर फोड़ गऊ मुख निकली। कोई शिव की जटा में समाय गंगे महारानी ।
मेरा कर दो बेड़ा पार गंगे महारानी...एक धार आकाश को गई है दूजी गयी पाताल गंगे महारानी।
इधर से गंगा उधर से यमुना संगम हुआ अपार गंगे महारानी।
न्हाये धोये से पाप कटगें कोई पिने से उद्धार गंगे महारानी।
पान चढ़े तो पे फूल चढ़े तो पे चढ़े दूध की धार गंगे महारानी।
ध्वजा नारियल पान सुपारी कोई तेरी भेंट-चढाएं गंगे महारानी।
साधु-संत तेरी करे आरती हो रही जय-जयकार गंगे महारानी।
दूर-दूर से आये यात्री कोई चरणों में शीश नवाये गंगे महारानी।