उम्र सारी बीत गई माला ना फेरी ।
भोर भई चिड़िया चहकाईं, में घर-घर हांड आई, माला ना फेरी।
मैं तेरी-मेरी कर आई माला ना फेरी।
उम्र सारी बीत गई माला ना फेरी ।
नहाय धोय आसन पर बैठी, ये निंदिया बैरन आ
गई । माला ना फेरी।
मैं गप -गप खा आई माला ना फेरी।
उम्र सारी बीत गई...
सांझ हुईं जब निकले तारे, मैं घाल खटोला सोय
गई, माला ना फेरी।
उम्र सारी बीत गई माला ना फेरी।
यम के दूत जब लेने को आए, में खड़ी-खडी कांप रही, माला ना फेरी।
उम्र सारी बीत गई माला ना फेरी।
धर्म राज जब लेखा मांगे, मैं सच-सच बोल आई।
उम्र सारी बीत गई माला ना फेरी।