ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः। चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः । प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः, स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥
कहां बैठी तुलसा रानी कहां बैठे राम,
कहां बैठे रे मेरे शालीग्राम बोलो री सखी सब राम ही राम,
गमले बैठी तुलसा रानी मंदिर बैठे राम छोटी सी गुफा में मेरे शालीग्राम,
बोलो री सखी सब राम ही राम क्या पहने तुलसा रानी क्या पहने राम,
क्या पहने री मेरे शालीग्राम बोलो री सखी सब राम ही राम,
लहंगा पहने तुलसा रानी पीताम्बर पहने राम छोटा-सा झबलिया मेरे शालीग्राम,
बोलो री सखी सब राम ही राम क्या ओढ़े तुलसा रानी क्या ओढ़े राम,
क्या ओढ़े री मेरे शालीग्राम बोलो री सखी सब राम ही राम,
शाल ओढ़े तुलसा रानी दुशाला ओढ़े राम काली सी कमलिया मेरे शालीग्राम,
बोलो री सखी सब राम ही राम क्या खावे तुलसा रानी क्या खावें राम,
क्या खावे री मेरे शालीग्राम बोलो री सखी सब राम ही राम,
लड्डू खावे तुलसा रानी पेड़े खावें राम माखन मिश्री मेरे शालीग्राम,
बोलो री सखी सब राम ही राम क्या पीवे तुलसा रानी क्या पींवे राम,
क्या पीवें री मेरे शालीग्राम बोलो री सखी राम ही राम,
जल पीवें तुलसा रानी झारा पीवें राम दूध बतासा मेरे शालीग्रामं,
बोलो री सखी सब राम ही राम
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए भक्त सिंदूर, दूर्वा, सुपारी, हल्दी और मोदक चढ़ाते हैं। सिंदूर मंगल का प्रतीक है, जबकि तुलसी को प्राचीन ग्रंथों में पाई जाने वाली एक अनोखी कहानी के कारण नहीं चढ़ाया जाता है। प्रत्येक अर्पण के पीछे की परंपराओं और प्रतीकात्मकता और तुलसी और गणपति की दिलचस्प कहानी को जानें।