सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ।।
साँची ज्योतो वाली माता,
तेरी जय जय कार
जय जय कार जय जय कार
तुने मुझे बुलाया शेरावालिये,
मैं आया मैं आया शेरावालिये
ज्योता वालिये, पहाड़ा वालिये, मेहरा वालिये
तुने मुझे बुलाया शेरावालिये,
मैं आया मैं आया शेरावालिये
सारा जग है इक बंजारा,
सब की मंजिल तेरा द्वारा
ऊँचे परबत लम्बा रस्ता,
पर मैं रह ना पाया शेरा वालिये
मैं आया मैं आया शेरावालिये
तुने मुझे बुलाया शेरावालिये,
सूने मन में जल गयी बाती,
तेरे पथ में मिल गए साथी।
मुंह खोलूं क्या तुझ से मांगू,
बिन मांगे सब पाया, शेरा वालिये
मैं आया मैं आया शेरावालिये
तुने मुझे बुलाया शेरावालिये,
कौन है राजा, कौन भिखारी,
एक बराबर तेरे सारे पुजारी
तुने सब को दर्शन देके,
अपने गले लगाया, शेरा वालिये
तुने मुझे बुलाया शेरावालिये,
मैं आया मैं आया शेरावालिये
हो प्रेम से बोलो जय माता दी
सारे बोलो जय माता दी
मिलकर बोलो जय माता दी
आते बोलो जय माता दी
जाते बोलो जय माता दी
वो कष्ट निवारे जय माता दी
देवी माँ भोली जय माता दी
तू भर दे झोली जय माता दी
माँ दे दे दर्शन जय माता दी
जय माता दी जय माता दी
जय माता दी .....
शेरावालियाये की जय ....
पहाड़ावालिये की जय ......
अम्बेरानी की जय .....
आज मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता (भगवान कार्तिकेय की माता) की पूजा आराधना की जाएगी, माँ दुर्गा का यह स्वरूप बहुत ही सौम्य और करुणा से भरा है, स्कंदमाता की गोद में कार्तिकेय विराजित है, माँ की सच्चे मन से आराधना करने वाले भक्तों के सभी कष्ट मिट जाते हैं।