Anyone seeking divine guidance, strength, and protection should read Mata Ambe Ji Ki Aarti daily. It's especially beneficial for those looking to overcome challenges, find inner peace, and stay spiritually connected.
|| सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ||
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति।तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को।उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती।धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावै।कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥