||गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक||
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
॥ श्री गोवर्धन महाराज...॥तोपे* पान चढ़े, तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार।
॥ श्री गोवर्धन महाराज...॥तेरी सात कोस की परिकम्मा, और चकलेश्वर विश्राम तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कंठा साज रेहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल।
॥ श्री गोवर्धन महाराज...॥तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ, तेरी झांकी बनी विशाल।
॥ श्री गोवर्धन महाराज...॥तेरी सात कोस की परिकम्मा, चकलेश्वर है विश्राम।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण।॥ श्री गोवर्धन महाराज...॥मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि करके हनुमान जी के सामने घी का दीपक जला कर व्रत का संकल्प करें। भगवान हनुमान का व्रत करने से भक्त या उपासक को कोई भी नकारात्मक शक्ति से भय नहीं रहता। जिन भक्तों को शनि देव की साढ़े साती हो वो भी इस व्रत को करते हैं।