ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकारना जिव्या नयन नासिका करण द्वारना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकारना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनताजगत चेतना हूँ अनादि अनन्ताना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनताजगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना मैं प्राण हूँ ना ही हूँ पंच वायुना मुज्मे घृणा ना कोई लगावना लोभ मोह इर्ष्या ना अभिमान भावधन धर्म काम मोक्ष सब अप्रभाव
मैं धन राग गुणदोष विषय परियांताजगत चेतना हूँ अनादि अनन्तामैं धन राग गुणदोष विषय परियांताजगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
मैं पुण्य ना पाप सुख दुःख से विलग हूँना मंत्र ना ज्ञान ना तीर्थ और यज्ञ हूँना भोग हूँ ना भोजन ना अनुभव ना भोक्ताजगत चेतना हूँ अनादि अनन्ताना भोग हूँ ना भोजन ना अनुभव ना भोक्ताजगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना मृत्यु का भय है ना मत भेद जानाना मेरा पिता माता मैं हूँ अजन्मा
निराकार साकार शिव सिद्ध संताजगत चेतना हूँ अनादि अनंतानिराकार साकार शिव सिद्ध संताजगत चेतना हूँ अनादि अनंता
मैं निरलिप्त निरविकल्प सूक्ष्म जगत हूँहूँ चैतन्य रूप और सर्वत्र व्याप्त हूँ
मैं हूँ भी नहीं और कण कण रमताजगत चेतना हूँ अनादि अनंतामैं हूँ भी नहीं और कण कण रमताजगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ये भौतिक चराचर ये जगमग अँधेराये उसका ये इसका ये तेरा ये मेराये आना ये जाना लगाना है फेराये नाश्वर जगत थोड़े दिन का है डेरा
ये प्रश्नों में उत्तर हुनिहित दिगंतजगत चेतना हूँ अनादि अनंताये प्रश्नों में उत्तर हुनिहित दिगंतजगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकारना जिव्या नयन नासिका करण द्वारना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकारना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनताजगत चेतना हूँ अनादि अनंताना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनताजगत चेतना हूँ अनादि अनंताना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनताजगत चेतना हूँ अनादि अनंताना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनताजगत चेतना हूँ अनादि अनंता