।। ॐ नमः शिवाय ।।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने को कहा। इस पर राजा ने कहा कि प्रभु प्रजा के कल्याण के लिए इस स्थान को अपना लें। अर्थात वे इस स्थान को अपना निवास स्थान बना लें। भगवान शिव ने राजा की इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और भोलेनाथ यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए।
राजा के नाम पर इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत रखा गया। यह पर्वत सदैव जलमग्न रहता है। कहा जाता है कि मां नर्मदा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर का जलाभिषेक करती हैं। सबसे खास बात यह है कि इस ज्योतिर्लिंग को किसी इंसान ने नहीं बनाया है बल्कि यह एक प्राकृतिक शिवलिंग है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में स्थित है। ओंकारेश्वर के पास नर्मदा नदी बहती है। यहां पहाड़ी के चारों ओर बहने वाली नदी से ओम की आकृति बनती है। कहा जाता है कि ॐ शब्द की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा के मुख से हुई है। खास बात यह है कि यह ज्योतिर्लिंग ओंकार यानी ओम के आकार में है। इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर कहा जाता है।