Current Location
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान शनिवार को व्रत रखने के साथ-साथ शनिवार व्रत कथा का पढ़ना और सुनना विशेष रूप से लाभदायक होता है।
|| ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः||
श्री हनुमान चालीसा | दोहा : · श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
शनि देव भगवान सूर्य और देवी छाया के पुत्र है, शनि देव को कर्मो का देव कहा जाता है अर्थात जैसे कर्म करोगे शनि देव उसका फल अवश्य देंगे।