विक्रम संवत का नया वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा एकम से आरम्भ होता है। होली के बाद चैत्र कृष्ण अमावस को वर्ष पूरा हो जाता है।
प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं । इनके नाम हैं- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
अमावस के बाद प्रतिपदा से शुरू होनेवाले पक्ष को शुक्ल पक्ष और पूर्णिमा ( पूनो ) के बाद प्रतिपदा से शुरू होने वाले पक्ष को कृष्ण पक्ष कहते हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ होती हैं। दोनों पक्षों में 14 तिथियों के नाम एक समान हैं। इन तिथियों के नाम क्रमशः इस प्रकार हैं
शुक्ल पक्ष की पन्द्रहवीं तिथि को पूर्णिमा, पूनम या पूनो कहते हैं और कृष्ण पक्ष की पन्द्रहवीं तिथि अमावस कही जाती है।
आज मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता (भगवान कार्तिकेय की माता) की पूजा आराधना की जाएगी, माँ दुर्गा का यह स्वरूप बहुत ही सौम्य और करुणा से भरा है, स्कंदमाता की गोद में कार्तिकेय विराजित है, माँ की सच्चे मन से आराधना करने वाले भक्तों के सभी कष्ट मिट जाते हैं।
आज नवरात्रि के तीसरे दिन होगी मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना, मां का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। मां चंद्रघंटा का भक्त निडर और पराक्रमी होने के साथ, सौम्य और तेजवान भी हो जाता है।
हिमालय की पुत्री होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा जाता है, पूर्व जन्म में इनका नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थी। सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया, इसी कारण सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया।