श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। परंतु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां माता पार्वतीजी और भगवान शिवजी की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं। इसी वजह से इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन माना जाता है।इस दिन जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस त्योहार में स्त्रियां हरा लहरिया या चुनरी में गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।
शिवजी ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे।
तुम्हारे पिता दुःखी थे। नारदजी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं।
पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने को तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णुजी को यह शुभ समाचार सुना दिया पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दु.ख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई।
सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा।
शिवजी ने आगे पार्वतीजी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे।
तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिवजी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिवजी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिवजी से करने को राजी हों।
पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो।
हरियाली तीज एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह मानसून के मौसम में पड़ता है और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। उपवास और पूजा करना इस त्योहार के महत्वपूर्ण पहलू हैं। यहां हरियाली तीज के लिए व्रत और पूजा विधि दी गई है
निर्जला व्रत: कई महिलाएं हरियाली तीज पर निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका अर्थ है पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज करना। इसे उपवास का एक कठोर रूप माना जाता है और इसके लिए दृढ़ संकल्प और आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है।
संकल्प: हरियाली तीज की सुबह महिलाएं व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। इसमें उपवास करने का इरादा व्यक्त करना, देवताओं से आशीर्वाद मांगना और अपने परिवार की भलाई के लिए अपना उपवास समर्पित करना शामिल है।
हरे रंग की पोशाक: इस दिन, महिलाएं आमतौर पर हरे रंग की पोशाक पहनती हैं, जो मानसून के मौसम के दौरान प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक है।
आवश्यक वस्तुएं इकट्ठा करें: पूजा शुरू करने से पहले, सभी आवश्यक वस्तुएं जैसे भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति या छवि, फूल, धूप, दीपक, फल, मिठाई, पानी, दूध, दही, शहद और अन्य पारंपरिक प्रसाद इकट्ठा करें।
साफ़ करें और सजाएँ: उस क्षेत्र को साफ़ करें जहाँ आप पूजा करेंगे। मूर्ति या तस्वीर को फूल-मालाओं से सजाएं।
धूप और दीपक जलाएं: दिव्य वातावरण बनाने के लिए धूप और दीपक जलाएं।
भगवान शिव और देवी पार्वती को प्रसाद: भगवान शिव और देवी पार्वती को फूल, फल, मिठाई और अन्य वस्तुएं चढ़ाएं। आप उनके संबंधित मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं और अपनी प्रार्थनाएं भी कर सकते हैं।
कथा सुनें: कई लोग भगवान शिव और देवी पार्वती की कथा सुनते हैं, जो त्योहार के महत्व और उनके दिव्य बंधन पर प्रकाश डालती है।
आरती करें: देवताओं के सामने दीपक जलाएं और आरती (दीपक के साथ गोलाकार गति) करें। इस दौरान आप भजन या भक्ति गीत गा सकते हैं।
आशीर्वाद मांगें: अपने परिवार और प्रियजनों की भलाई, खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
व्रत तोड़ना: पारंपरिक रूप से व्रत चंद्रमा को देखने के बाद तोड़ा जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद जल, फल और मिठाई खाकर सादा भोजन करें।
नोट:- अनुष्ठान और प्रथाएं क्षेत्रीय रीति-रिवाजों और पारिवारिक परंपराओं के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप पूजा और उपवास के लिए सही प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं, बड़ों या पुजारी से परामर्श लें।