ॐ ह्रीं श्रीं कीर्ति कौमुदी वागीश्वरी प्रसन्न वरदे कीर्ति मुख मन्दिरे स्वाहा।
भारतीय मंदिर के गर्भगृह के प्रवेश द्वार के ऊपर मुस्कुराते या घूरते रहस्यमय राक्षस चेहरे के पीछे का रहस्य पढ़ें।
हिंदू पौराणिक कथाओं के दायरे में कदम रखें, और आप खुद को देवी-देवताओं और रहस्यमय प्राणियों की कहानियों से घिरा हुआ पाएंगे। फिर भी, भारतीय मंदिरों की भव्यता और आध्यात्मिकता के बीच, एक जिज्ञासु रहस्य छिपा है: राक्षस चेहरे की उपस्थिति, जो अक्सर गर्भगृह के प्रवेश द्वार के ऊपर घूरती रहती है। इन भयानक दृश्यों के पीछे कौन सी दंत-कथा है? आइए कीर्तिमुख नामक राक्षस के मनोरम रहस्य को जानें, जिसका चेहरा देवताओं से भी ऊंचा दर्जा रखता है।
कीर्तिमुख का मतलब है एक यशस्वी चेहरा। कीर्तिमुख एक ऐसा असुर है, जिसको मंदिर में भगवान से भी ऊपर स्थान दिया गया है, इसके नुकिले दातो और फेले हुए जबड़े है। एसा मुख होने के विपरीत इन्हें सुरक्षा और अच्छे परिवर्तन का शक्तिशाली ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जालंधर ने महादेव को चुनौति देने के लिए राहु को ये आदेश दिया कि वो महादेव के मस्तक पर चन्द्र को ग्रास करे (खा ले)। जैसे ही राहु ने चंद्र को ग्रास करने की कोशिश की, तब महादेव क्रोधित हो गए और उनकी तीसरी आंख से एक भयानक राक्षस उत्पन्न हुआ, इस राक्षस का जन्म राह को खाने के लिए हुआ था।
महादेव ने तब उस राक्षस को राहु को खाने का आदेश दिया। उस राक्षस से भयभीत हो राहु ने महादेव से क्षमा मांगी, इस पर भोलेनाथ ने राहु को क्षमा कर दिया। उसके बाद राक्षस ने पूछा अब मैं क्या खाउ? तब महादेव ने कहा कि तुम खुद को खालो तब उस राक्षस ने अपना शरीर खाना शुरू कर दिया परंतु उसकी भूख खत्म नहीं हुई, तब महादेव ने उसे कहा के अब से तुम लोगो के पाप, लोभ और बुरी नियत सबको खाओगे।
इसलिए आज भी मंदिर के द्वार पर या फिर भगवान के विग्रह के ऊपर कीर्तिमुख मिलता है, यह बात का संकेत देता है कि अगर आपको भगवान से मिलना है तो आपको क्रोध, लोभ और बुरी नियत को छोड़ना होगा।
ललिता त्रिपुरसुंदरी को पार्वती का अवतार माना जाता है। त्रिपुरा सुंदरी जिसे राजराजेश्वरी , षोडशी , कामाक्षी और ललिता के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू देवी है, जो मुख्य रूप से शक्तिवाद परंपरा में प्रतिष्ठित है और दस महाविद्याओं में से एक के रूप में पूजी जाती है ।