|| ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर के ज्यर्तिलिंग से गौतम ऋषि और गंगा नदी से प्रसिद्ध कथा जुड़ी हुई है। इस प्रचलित कथा के मुताबिक प्राचीन समय में त्रयंबकेश्वर में जब 24 सालों तक लगातार अकाल पड़ा था, तब कई लोग मरने लगे।
लेकिन उस समय बारिश के देवता इंद्र देव, ऋषि गौतम की भक्ति से बेहद खुश थे, इसलिए उनके आश्रम में ही वर्षा करवाते थे, जिसके चलते कई ब्राहाण, गौतम ऋषि के आश्रम में ही रहने लगे।
तभी एक बार अन्य ऋषियों की पत्नियां किसी बात को लेकर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या देवी से गुस्सा हो गईं, जिसके बाद उन्होंने अहिल्या देवी की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए अपने-अपने पति को गौतम ऋषि का अपमान करने के लिए प्रेरित किया।
जिसके बाद सभी ब्राह्राणों ने ऋषि गौतम को नीचा दिखाने की योजना बनाई। और फिर ब्राह्मणों ने गौतम ऋषि पर छल से गौ हत्या का आरोप लगा दिया एवं गौतम ऋषि को अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए देवी गंगा में स्नान करने की सलाह दी।
जिसके बाद गौतम ऋषि ने ब्रह्रागिरी पर्वत पर जाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की और देवी गंगा के उस जगह पर अवतरित करने का वरदान मांगा।
लेकिन देवी गंगा इस शर्त पर अवतरित होने के लिए राजी हुईं कि जब भगवान भोले शंकर इस स्थान पर रहेंगे, तभी वे इस स्थान पर प्रवाहित होंगी।
जिसके बाद देवी गंगा के कहने पर शिवजी त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप वहीं वास करने को तैयार हो गए और इस तरह त्रयंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग यहां खुद प्रकट हुए और गंगा नदी गौतमी के रूप में यहां से बहने लगी। आपको बता दें कि गौतमी नदी को गोदवरी के नाम से भी जाना जाता है।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, सोमवार व्रत रखने के लिए सुबह स्नान करके भगवान शिव को जल और बेलपत्र चढ़ाना और शिव-पार्वती की पूजा करना शामिल है। ऐसा माना जाता है कि सोमवार का व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। सोमवार व्रत कथा पढ़ने से अनुष्ठान पूरा होता है।