ओम् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्।।
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥ १ ॥
हिन्दी अनुवाद - माला की तरह सर्पो के राजा जिनके कण्ठ में रहते हैं, तीन आंखें हैं, भस्म ही जिसकी सच्चा अंगराग है, जो महान प्रभु है, जो चारो दिशाओं को वस्त्रो की तरह धारण करते हैं अर्थात् जो दिगम्बर हैं, ऐसे शुद्ध अविनाशी शिव न को नमस्कार है।
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय । तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
हिन्दी अनुवाद - जिनको मंदाकिनी नदी के जल से पूजा जाता है, जिन्हे चंदन का लेप लगा कर पूजा जाता है और नंदी ऐव भूत-पिशाचो के भी प्रभु है वो महेश्वर शिव।जिने मंदार तथा अन्य पुष्पो द्वारा पूजा जाता है, ऐसे महाप्रभु शिव म को नमस्कार है।
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
हिन्दी अनुवाद - जो पूर्ण शुभ हैं और जिन्हे देख कर देवी गौरी का मुख प्रसन्नता से सूर्य के समान चमक उठता है, जिन्होने दक्ष के यज्ञ का संहार किया, जो नीलकंठ है, जिनकी ध्वजा में (बैल) का चिह्न हैं, ऐसे शिव शि को नमस्कार है।
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥ ४ ॥
हिन्दी अनुवाद - जो संपूर्ण ब्रह्मांड का मुकुट है, जिन की पूजा महान संतों (वशिष्ट, अगस्त्य और गौतम) तथा अन्य देवताओ द्वार की गई है, चंद्रमा, सूर्य और अग्नि जिनकी तीन आंखें हैं। ऐसे कारस्वरूप शिव व को नमस्कार है।
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥ ५ ॥
हिन्दी अनुवाद - जो यक्ष रूप धारण किए हुए हैं, जो जटाधारी है, जो शाश्वत पिनाक (शिवधनुष) लिए हुए हैं, सनातन पुरुष हैं,वो जो दिव्य रोशनी जैसे है। ऐसे दिगम्बर शिव य नमस्कार है।
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥६॥
हिन्दी अनुवाद - जो शिव (शिव लिंग या शिव मूर्ति) के निकट इस पवित्र शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त करता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र पंचाक्षरी मंत्र "नमः शिवाय" पर आधारित है :- न – पृथ्वी तत्त्व का, म – जल तत्त्व का, शि – अग्नि तत्त्व का, वा – वायु तत्त्व का और य – आकाश तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।