ऋषि मारकंडेय जी ने अकाल मृत्यु /संकट को दूर करने के लिए विशिस्ट शिव महामृत्युंजय मंत्र लिखा गया है।
||ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
।। Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam. Urvarukamiv Bandhanan mrityormukshiyya Mamritat ।।
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित वह मंत्र हैं जो ऋषि मारकंडेय जी ने अकाल मृत्यु /संकट को दूर करने के लिए इसकी रचना की और श्रिष्टि को ऐसा विशिस्ट शिव मंत्र दिया।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक विशेष मंत्र है। यह मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान शिव की स्तुति में लिखा गया है। रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे सभी प्रकार के कष्ट और रोग समाप्त हो जाते हैं। साथ ही अकाल मृत्यु (असामयिक मृत्यु) का भय भी दूर हो जाता है।
॥ ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥
॥ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ॥
हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं। उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बन्धनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जावे जिस प्रकार एक ककड़ी बेल में पक जाने के बाद उस बेल रूपी संसार के बन्धन से मुक्त हो जाती है उसी प्रकार हम भी इस संसार रूपी बेल में पक जाने के जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदैव के लिए मुक्त हो जाएं और आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्याग कर आप में लीन हो जायें।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है।
दीर्घायु (लम्बी उम्र) - जिस भी मनुष्य को लंबी उम्र पाने की इच्छा हो, उसे नियमित रूप से महामृत्युजंय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इसका जाप करने वाले की आयु लंबी होती है।
आरोग्य प्राप्ति - यह मंत्र न केवल व्यक्ति को निडर बनाता है बल्कि उसके रोगों का नाश भी करता है। भगवान शिव को मृत्यु का देवता भी कहा जाता है। इस मंत्र के जाप से रोगों का नाश होता है और व्यक्ति निरोगी बनता है।
सम्पत्ति की प्राप्ति - जिस भी व्यक्ति को धन-सम्पत्ति पाने की इच्छा हो, उसे महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए। इस मंत्र के पाठ से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं और मनुष्य को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
यश (सम्मान) की प्राप्ति - इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को समाज में उच्च पद की प्राप्ति होती है। सम्मान चाहने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
संतान की प्राप्ति - महामृत्युजंय मंत्र का जप करने से भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है और हर मनोकामना पूरी होती है। इस मंत्र का रोज जाप करने पर संतान की प्राप्ति होती है।
त्रयंबकम (Om Tryambakam) - त्रि.नेत्रों वाला ; कर्मकारक।यजामहे - हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।सुगंधिम - मीठी महक वाला, सुगंधित।पुष्टि - एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णतावर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है।उर्वारुक - ककड़ी।इवत्र - जैसे, इस तरह।बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।मृत्यु - मृत्यु सेमुक्षिया - हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।मात्र - नअमृतात - अमरता, मोक्ष।
दैनिक जीवन में शिव चालीसा का सार आंतरिक शांति, शक्ति और स्पष्टता को बढ़ावा देता है। इसके छंदों का पाठ करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है, बाधाओं को दूर करने, तनाव कम करने और चुनौतियों के बीच शांति की प्रेरणा मिलती है। यह आध्यात्मिक विकास और कल्याण के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है