।। ‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।’ ।।
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, सूर्य देव के दो बच्चे थे, एक बेटा यमराज और दूसरी बेटी यमुना। यमराज और यमुना में बहुत प्रेम था। यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, लेकिन अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे। एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी दूर करने के लिए उससे मिलने यमुना जी के घर गए। यमुना अपने भाई को देखकर बहुत खुश हुई। भाई के लिए खाना बनाया और उसका सम्मान किया। अपनी बहन के प्रेम को देखकर यम इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुना को अनेक उपहार और आशीर्वाद दिए।
जाने से पहले, यम ने अपनी बहन यमुना जी से कहा मैं अपनी बहन से मिलकर बहुत ख़ुश हुआ तो मेरा तुम्हे इच्छा वरदान देने का मन है मांगो तुम कोई वरदान मांगो। यमुना ने उनकी विनती सुनी और कहा कि यदि तुम मुझे वरदान देना चाहते हो तो यह वरदान दो कि हर साल इस दिन तुम मेरे यहाँ आओ और मेरा आतिथ्य स्वीकार करो। यमराज ने उन्हें ऐसा ही होने का वरदान दिया। कहा जाता है कि इसके बाद हर साल भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इसलिए भाई दूज के दिन यमराज और यमुना की भी पूजा की जाती है।
इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नराकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे। उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा और इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
गणपति अथर्वशीर्ष, एक शक्तिशाली स्तोत्र, भगवान गणेश के भक्तों के लिए एक पूजनीय अभ्यास है, माना जाता है कि यह शांति, समृद्धि और सुरक्षा लाता है। नियमित पाठ बाधाओं को दूर करता है, अशुभ ग्रहों को शांत करता है, और सफलता के लिए सकारात्मक ग्रहों के प्रभावों को मजबूत करता है।