कार्तिकेय को मुरुगन नाम से भी पूजा जाता है, कार्तिकेय भगवान शिव और माँ पार्वती की प्रथम संतान हैं। इनकी पूजा मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिल नाडु में की जाती है।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात
माना जाता है कि श्री जम्बू स्वामी ने मथुरा में 84 वर्ष की आयु में मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त किया था। जम्बू का उत्तराधिकारी प्रभाव (443-338 ईसा पूर्व) हुआ, जिसे उसने डाकू से परिवर्तित कर दिया था।जम्बू स्वामी चतुर्थ काल के अंतिम केवली हुए जो महावीर के गणधर सुधर्माचार्य के शिष्य थे ।
आज मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता (भगवान कार्तिकेय की माता) की पूजा आराधना की जाएगी, माँ दुर्गा का यह स्वरूप बहुत ही सौम्य और करुणा से भरा है, स्कंदमाता की गोद में कार्तिकेय विराजित है, माँ की सच्चे मन से आराधना करने वाले भक्तों के सभी कष्ट मिट जाते हैं।
माना जाता है कि श्री जम्बू स्वामी ने मथुरा में 84 वर्ष की आयु में मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त किया था। जम्बू का उत्तराधिकारी प्रभाव (443-338 ईसा पूर्व) हुआ, जिसे उसने डाकू से परिवर्तित कर दिया था।जम्बू स्वामी चतुर्थ काल के अंतिम केवली हुए जो महावीर के गणधर सुधर्माचार्य के शिष्य थे ।